विषय
- #गेम
- #हेलो
- #कहानी
- #गेमप्ले रिव्यू
रचना: 2024-02-06
रचना: 2024-02-06 16:02
हेलो 1 डिस्कवर
पैरामाउंट प्लस की ओरिजिनल सीरीज़ हेलो इस हफ़्ते गुरुवार को अपने दूसरे सीज़न के साथ वापस आ रही है। हेलो को आम दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और दर्शकों की संख्या भी इतनी अच्छी रही कि सीज़न 2 बन पाया। लेकिन इस टीवी सीरीज़ को वीडियो गेम 'हेलो' के प्रशंसकों ने खूब खरी-खोटी सुनाई है। उनका कहना है कि गेम में जो तत्व उन्हें पसंद थे, उनमें से कई को हटा दिया गया है। इसलिए सीज़न 2 के आने से पहले मैंने वीडियो गेम हेलो खेलने का फ़ैसला किया।
हेलो एक बहुत पुराना गेम है, और यही गेम आज के ज़माने के गेमिंग कंसोल एक्सबॉक्स की नींव है। हेलो का पहला गेम 'हेलो: कॉम्बैट इवॉल्व्ड' (Halo: Combat Evolved) नवंबर 2001 में एक्सबॉक्स के साथ-साथ रिलीज़ हुआ था। हेलो की लोकप्रियता के कारण एक्सबॉक्स दुनियाभर में, ख़ासकर उत्तरी अमेरिका में, फ़ैल पाया।
हेलो: मास्टर चीफ़ कलेक्शन (Halo: Master Chief Collection) 2001 से 2012 तक आए हेलो गेम्स का एक रिमास्टर्ड पैकेज है। इसमें पहला गेम, हेलो: कॉम्बैट इवॉल्व्ड से लेकर हेलो 4 तक के चार मुख्य गेम, साथ ही स्पिनऑफ़ गेम हेलो रीच और हेलो ओडीएसटी भी शामिल हैं। हेलो एक्सबॉक्स का एक पुराना एक्सक्लूसिव गेम था, इसलिए इसे पहले सिर्फ़ एक्सबॉक्स पर ही खेला जा सकता था। लेकिन हाल ही में इसका पीसी वर्ज़न भी रिलीज़ हो गया है।
हेलो: मास्टर चीफ़ कलेक्शन' का सबसे बड़ा फ़ायदा इसकी कीमत है। कम से कम 4000 रुपये (50 डॉलर) की छह गेम्स 39,900 रुपये (39.99 डॉलर) में मिल रही हैं। इन छह गेम्स में से हर एक को 40 घंटे से ज़्यादा खेल सकते हैं, यानी इसमें काफ़ी कंटेंट है। अगर धीरे-धीरे खेला जाए तो ये पूरे साल भर के लिए काफ़ी है।
हेलो रीच
रिमास्टर होने की वजह से ग्राफ़िक्स भी उम्मीद से बेहतर थे। 2001 में बना हेलो 1 का ग्राफ़िक्स 2010 के दशक की शुरुआत के गेम्स जैसा लग रहा था। हेलो 2 में जो कटसीन डाले गए हैं, वो आधुनिक ग्राफ़िक्स के साथ बने हैं, जिससे गेम में डूबना आसान हो जाता है। ख़ासकर बंजी (Bungie) के बाद के गेम्स की तरह बैकग्राउंड काफ़ी ज़बरदस्त है। ब्रह्मांड, समुद्र किनारा, जलती हुई इमारतें – कई तरह के बैकग्राउंड को बहुत खूबसूरती से बनाया गया है।
गेमप्ले और स्टोरीलाइन छह गेम्स का मिला-जुला नतीजा है, इसलिए हर एक के अपने फ़ायदे और नुक़सान हैं। पहले गेम में, क्योंकि वो बहुत पुराना है, इसलिए गेमप्ले थोड़ा सुस्त लग सकता है। खिलाड़ी जिस किरदार 'मास्टर चीफ़' को कंट्रोल करता है, वो दौड़ नहीं सकता है, और थोड़ी ऊँचाई से गिरने पर भी मर जाता है। साथ ही, बंदूक चलाने पर पता नहीं चलता कि निशाना लगा है या नहीं। और आजकल के गेम्स में मिलने वाला 'सटीक निशाना' (precision targeting) इस गेम में नहीं है।
हेलो 2 रीमास्टर तुलना पहले और बाद में
ये सारी चीज़ें आगे चलकर सुधरती जाती हैं। 2010 में बना स्पिनऑफ़ गेम हेलो रीच (Halo Reach) लगभग आज के गेम्स जैसा महसूस होता है। इस गेम से खिलाड़ी दौड़ सकते हैं और जेटपैक से उड़ भी सकते हैं। मुख्य किरदार 'नोबल 6' शहर की ऊँची इमारतों पर चढ़कर लोगों को बचाता है, और अंतरिक्ष में जाकर स्पेसशिप भी चला सकता है।
सभी छह गेम्स की स्टोरीटेलिंग काफ़ी अच्छी है। ख़ासकर साइंस फ़िक्शन एडवेंचर और स्पेस ओपेरा (Space Opera) जॉनर में जो उम्मीद की जाती है, वो सब इसमें मौजूद है। तीसरे गेम के आख़िर में, टूटते हुए एलियन स्ट्रक्चर से गाड़ी में बैठकर भागने का मिशन, भले ही पुराना गेम हो, फिर भी काफ़ी शानदार है।
हेलो 3
इस गेम सीरीज़ के मुख्य किरदार कभी भी हेलमेट नहीं उतारते। इस वजह से वो रहस्यमय लगते हैं और खिलाड़ियों को उनके साथ खुद को जोड़ना आसान हो जाता है। हेलो टीवी सीरीज़ पहले देखने के बाद समझ में आया कि प्रशंसकों को इतना गुस्सा क्यों आया था। हेलो टीवी सीरीज़ में मुख्य किरदारों के चेहरे ज़्यादा दिखते हैं।
फिर भी, पुराना गेम होने की वजह से गेमप्ले आज के गेम्स की तुलना में थोड़ा साधारण है। जो लोग ओवरवाच जैसे गेम खेलने के आदी हैं, उन्हें इस गेम का साधारणपन मुश्किल लग सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि हेलो 1 में दौड़ नहीं सकते, जो कि बहुत परेशान करने वाला है।
अगर आपको PvE (Player versus Environment) फ़र्स्ट-पर्सन शूटर गेम पसंद हैं, तो ये गेम आपके लिए एक बार खेलने लायक है। अगर आपको स्पेस ओपेरा भी पसंद है, तो ये गेम आपके लिए ज़रूर खेलना चाहिए। लेकिन अगर आप ओवरवाच जैसे गेम को हल्के-फुल्के ढंग से खेलते हैं, तो 'हेलो इनफ़िनिट' (Halo Infinite) (2021) जैसे नए गेम को अलग से खरीदना बेहतर रहेगा।
टिप्पणियाँ0